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________________ .१२३ भगवान् महावीर सब से अधिक ग्राह्य है । "चमत्कार संसार से बाहर निकाला जा रहा है । कालाईल की इस युक्ति में समय का चिन्ह दृष्टिगोचर हो रहा है और इस समय-चिन्ह के अनुसार ही हमें सुधार करने की आवश्यकता है अगर हम ऐसा नहीं करेंगे। तो बहुत पीछे पड़ जावेंगे, समय के साथ गति न करना मानो इस बात को प्रकट करना है कि, हम अपने पतन के लिए गहग गढा खोद रहे हैं। हम यह बात महसूस करते हैं कि हमारी जाति एक पिछड़ी हुई जाति है, हमारा ऐसा खयाल करना ही हमारे पतन का सब से अच्छा और सब से शानदार सबूत है।" चाहे हम लोग इसके विरोध में कितनी ही शक्तियां लगावें, पर तब तक हम कभी आगे नहीं आ सकते जब तक हम अपने आदर्श को मानवीय रूप में अपने सम्मुख न रक्खें और उसीके समान अपनी जीवन यात्रा को संयमित न कर लें। यौवन-काल बाल्यावस्था समाप्त किये बाद भगवान महावीर का विवाह हुआ या नहीं इस विषय में श्वेताम्बर और दिगम्बर ग्रन्थकारों में बड़ा मतभेद है । दिगम्बर ग्रन्थकारों का कथन है कि भगवान् ने आजन्म पर्य्यन्त विवाह नहीं किया, वे बाल ब्रह्मचारी थे। श्वेताम्बर ग्रन्थ इसके बिलकुल विरोध में है। उनके अनुसार भगवान महावीर ने "यशोदा" के साथ विवाह किया था और उससे उनके एक कन्या भी उत्पन्न हुई थी। ... इन दोनों मतभेदों में से सत्य निष्कर्म का निकलना बहुत ही कठिन है। क्योंकि हमारे पास ऐसे तो कोई सबल प्रमाण है ही Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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