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________________ ११९ भगवान् महावीर मनुष्यत्व का जो सौन्दर्य है उसी को हम भगवान महावीर में देखना चाहते हैं। हम उन्हें मनुष्य जाति के सन्मुख आदर्श रूप में रखना चाहते हैं। हम उनके जीवन से मनुष्य जाति को एक सन्देशा देना चाहते हैं। और इसीलिये हमें उनके बाल्य-जीवन को पूर्ण रूप से अध्ययन करने की आवश्यकता है। हमें यह जानने की अनिवार्य आवश्यकता है कि, भगवान महावीर की दिनचर्या किस प्रकार थी। उनकी शिक्षा का प्रबन्ध किस प्रकार था, आदि आदि पर हमारे शास्त्रों में इस प्रकार कोई विशद विवेचन नहीं दिया गया है। फिर भी कल्पसूत्र आदि ग्रन्थों में महावीर के पिता सिद्धार्थ की जो दिनचर्या दी हुई है, उससे महावीर की दिनचर्या का कुछ कुछ अनुमान लगाया जा सकता है । कल्पसूत्र में सिद्धार्थ की चर्या का जो वर्णन किया है उसका संस्कृत रूप हम नीचे देते हैं। ___"बालात बकुङ्क में खीचते जीव लोके, शयनीश्युतिष्ठति पादपीठा प्रत्पवरति प्रत्युवतार्य्य यत्रेवाहन शालातत्रेवोया गच्छति उपगन्याहनशाला मनु प्रविशनि" अनुप्रविश्या, नेकव्यायाम, योग्य बालान व्यामर्दन मल्लयुद्ध करेंण: श्रान्त परिश्रान्त, शतपाक सहस्रे सुगंधवर तैलादि भी: प्रीणनीचे दीपनीवैः दर्पनीचे, मर्दनीचैः वृहणीयः सर्वेन्द्रियगात्र-प्रल्हाल नीचैः अम्यङ्गितः सन प्रति पूर्ण पाणि पाहु, सुकुमाल कमल तलैः इत्यादि विशेषण युक्तः पुरुषः संबाधनया संवाहिताः अपगेत परिश्रमः अन शालायः प्रतिनिष्क्रामति" . सूर्योदय के अनन्तर सिद्धार्थ राजा अबृनशाला अर्थात् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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