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ESTOS CASOSAHAHAHA
जैन एवा भरतचक्री केम बने ॥ ११ ॥ पांचसे धनुष प्रमाण शरीर केम होय ते बतावे छे.है। वीसाहियसय चउसयगुणणे जाया सहस्स अडयाला। छन्नवइभागहारे लब्भंते धणुसया पंच ॥१२॥ |
अर्थ-एकसोवीस उत्सेधांगुलने चारसी गुणा करिये तो अडतालिससहस्र (४८०००) उत्सेधांगुल थाय. अने तेने छन्नुए भाग करीये त्यारे पांचसो धनुष थाय. एटले पांचसो धनुपर्नु भरतचक्रीन शरीर थाय ॥१२॥ हये त्रीजा अंगुलर्नु स्वरूप कहे छे.
जे पुढवाइपमाणा तविक्खंभेण ते मिणिज्जंति । अणुओगदारचुन्नीवित्तोसु य भणियमेयं ति ॥१॥ अर्थ-जे पृथिवी आदिकनां प्रमाण ते प्रमाणांगुलनु जे विष्कंभ अढीउत्सेधांगुलरूप तेणे ते पृथ्यादिक मापवां ए प्रमाणे अनुयोगद्वारनीचूर्णिवृत्तिमां कहुं छे. ॥१३॥ जे कारणे अनुयोगद्वारनीचूर्णिवृत्तिमा कयुं छे, ते ग्रंथकार पोते बतावे छे.जे अपमाणंगुलाओ पुढवाइप्पमाणा आणिज्जंति । ते अ पमाणंगुलविक्खभेण आणेयव्वा ण पुण
सूइअंगुलेणं ति॥ १४॥ अर्थ-जे प्रमाणअंगुलथी पृथीवी आदिकनां प्रमाण आणे छे. ते प्रमाणांगुलनु जे विष्कम तेणे आणवां पण सूची प्रमाणभंगुले ते पृथ्वी आदिकनां प्रमाण न आणवां एहवु अनुयोगबारसूत्रचूर्णिवृत्तिमां कहथु छे ॥ १४ ॥ एयंच खित्त गणिएण केइ एअस्स जं पुण मिणति। अन्ने उ सूइ अंगुलमाणेण नसुत्तभणिअंतं॥१५॥ | अर्थ-केटलाक आचार्य कहे छे एअ-कहेतांएपृथिव्यादिकनुं प्रमाण एअस्स-कहेतांए प्रमाणांगुलने क्षेत्र गुणितमानस्यु एभाव एक प्रमाणांगुले सहस्रउत्सेधांगुल एहवं माने एटले एकमत देखाडी, हवे बीजो मत देखाडे छे. अनेराआचार्यसूची प्रमाणांगुले पृथ्व्यादिकनु प्रमाण मानस्युं. इहां एक सूची अंगुले चारसा उत्सेधांगुल थाय एहवुमाने. ग्रन्थकर्ता कहे छे के बन्ने आचार्यनु कथन सूत्रोक्त नयी ॥१५॥
SOCIRCRACADA-CAPRICA
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