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भासह
अंगुल. अर्थ-ते प्रमाणांगुल एक अंगुल जाडं होय अढी उत्सेवांगुल पहोलुं होय. हवे लांबु तथा पहोलुथइ प्रमाणांगुलने विषे उत्सेधांगुल केटला
थाय ? ते कहे छे एवं आ प्रकारे क्षेत्रगणित कहेता लांबपण तथा पहोलपण एकहुँ करतां एक प्रमाणांगुले सहस्र उत्सेधांगुल होय ॥२॥
॥७॥ एक प्रमाणांगुले सहस्र (१०००) उत्सेधांगुल केम थाय ? ते बतावे छे. . जम्हा चत्तारि सया अड्ढाइय संगुणा हवइ सहसो। अस्सुवओगो तिविहो जहक्कमेणं इमो होइ॥८॥ अर्थ-चारसोने अढीगुणा करीये तो सहस्र थाय जेहनु कारण एक प्रमाणांगुल चारसो उत्सेधांगुल लांबुछे. अने अढी अंगुल पहोल छे. चार अढी दस एतला माटे एक प्रमाणांगुले लंबाइ तथा पहोलाइ थइ सहस्र उत्सेधांगुल थाय. ए प्रमाणअंगुलनो उपयोग त्रण प्रकारे यथाक्रमे आ प्रमाणे छे.॥८॥ __उस्सेहंगुलमेगं हवइ पमाणंगुलं सहस्सगुणं । एयस्स खित्तगुणियं पडुच्च परिभासियं एयं ॥ ९ ॥ अर्थ-एक प्रमाणांगुले उत्सेधांगुल सहस्र थाय. ए प्रमाणांगुलने क्षेत्रगुणित प्रतीत्य आश्रीने कयु.॥९॥ ए प्रमाणांगुलनु प्रथम
उपयोगपणुं का. हवे प्रमाणअंगुलनुं त्रण गाथाथी बीजं उपयोगपणुं कहे . है सुत्तम्मि जत्थ भणिओ उसभसुओ भरहनामगो चक्की। आयंगुलेण वीसा समहिय अंगुलसयपमाणो॥१०॥
अर्थ-जिहां मूत्रने विषे श्री ऋषभ स्वामीना पुत्र भरतचक्रीना आत्मांगुलनु अंगुल १२० प्रमाण कयुं छे. ॥१०॥ BI सो सूइअंगुलेणं चउसयमाणेण होइ चित्तव्वो। कहमन्नह पंचसया उस्सेहंगुलधणूणं सो ॥११॥
अर्थ-स ते भरत सूची प्रमाणांगुल लेवू. ते केवु छे. सूची प्रमाणांगुल चारसें गुणु की छे. अन्यथा एह जो सूची प्रमाणांगुल न मानिये अने चोथी गाथामा आत्मांगुल का छे तेने मानीये तो छन्नु उत्सेधांगुले धनुष छे जिहां. एहवां पांचसे धनुष प्रमाण शरीर
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