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पधारे । कॉनफ्रेन्स का अधिवेशन बड़ी उत्तमतासे सम्पादित हुआ। यहांसे अनुमान तीन चार कोसपर एक प्राचीन तीर्थ है, जोकि श्री राणकपुरके नामसे प्रसिद्ध है । गुरुदेवके साथ आप वहां पधारे । यह तीर्थ बड़े भयानक जंगलमें है; यहां पर इस समय तीन मन्दिर हैं जो अपने सौंदर्यमें अनूठे और भारतवर्षकी प्राचीन शिल्पकलाके सजीव उदाहरण हैं।
राणकपुरके उक्त जिन मंदिरों में से एक मंदिर नलिनी गुल्म विमानके आकारका बना हुआ है और उसके १४४४ स्तम्भ हैं। इसको बनवाने वाले सेठ धन्नाशाह पोरवाल कहे जाते हैं । इस समय इसका प्रबन्ध सेठ आनंदजी कल्याणजीकी पेढ़ी के हाथमें है।
श्री केसरियानाथजीकी यात्रा
तथा बीकानेरका चतुर्मास
य
शिवगंजसे सेठ गोमराज फतेहचन्दने श्री केसरियानाथजीका संघ निकाला । संघमें गुरुदेवके साथ आप भी यात्रार्थ पधारे । यात्रा करके श्री वरकाणाजीतक आप गुरुदेवके साथ रहे और वहांसे धर्ममूर्ति सेठ सुमेरमलजी सुराणाकी साग्रह विनति और गुरु महाराजकी आज्ञासे अपने
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