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(६८) मनमें महानिशीथके योगका बड़ा भय था; क्योंकि इसमें लगातार दो महीनों तक आयंबिल करने पड़ते हैं । परन्तु अहमदाबाद के चौमासे में गुरुमहाराज की आन्तरिक प्रेरणासे आपने महानिशीथके योग पूर्ण करलिये । अब भगवतीजी के योग बाकी थे, सो अपने स्नेही पन्यासश्री सोहन-- विजयजी के पास ही पूर्ण किये ।
इसके अतिरिक्त आपकी मौजूदगी में शा. प्रेमचंद गोमराज, शा. प्रेमचंद जोधाजी, शा लखमाजी खुशालजी और नवलाजी मोतीजी की तरफसे एक उपधान तपका अनुष्ठान भी हुआ। मालारोपण और पंन्यासपदवीप्रदानकी आमंत्रणपत्रिकायें श्री संघकी तरफसे बांटी गईं। सहस्रों की संख्यामें स्त्रीपुरुषोंने इस धार्मिककृत्य में भागलिया।
सबसे अधिक खुशीकी बात यह थी कि-गुरुदेव सादड़ी से उक्त महोत्सवमें पधारे और उनकी छत्र-छायामें ही यह महोत्सव संपादित हुआ ।
सादड़ीकी श्री जैन श्वेताम्बर कॉनफ्रेंन्स ॥
सादड़ी में श्री जैन श्वेताम्बर कॉनफ्रेन्सका १२ वाँ अधिवेशन होशियारपुर ( पंजाब ) के ओसवाल-कुलभूषण श्रीयुत लाला दौलतरामजीकी अध्यक्षतामें होना निश्चित हो
चुकाथा, अतः गुरुदेव सपरिवार आपको साथ लेकर सादड़ी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com