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( ६६ ) गुरुदेव का सादड़ी में चतुर्मास और
आपका बालीमें ॥ " सबसे प्रथम कर्तव्य है शिक्षा बढ़ाना देशमें, शिक्षा बिना ही पड़ रहे हैं आज हम सब क्लेशमें। शिक्षा बिना कोई कभी होता नहीं सत्पात्र है, शिक्षा बिना कल्याणकी आशा दुराशा मात्र है ॥"
वाली में गुरुदेव के आगमन का समाचार सुनकर सादड़ी का श्रीसंघ आपकी सेवामें सादडीमें पधारने के लिये अभ्यर्थना करने को आया । श्रीसंघ की अधिक प्रार्थना से गुरुदेव साद-. डीमें दो चार दिनके लिये पधारे। सादडीसे विहार की तैयारी करनेपर समस्त श्रीसंघने आपको चतुर्मास करने की विनति की । श्रीसंघके अधिक आग्रह को देखकर गुरुमहाराजने मुस्कराते हुए कहा कि हमको रखकर आप क्या काम करेंगे ? यह सुन सबने मिलकर कहा कि आप जो कुछ फरमावें, वही काम करनेकेलिये हम सब तैयार हैं। ____ यह सुनकर आपने गोड़वाड़ की वर्तमान परिस्थिति
(नोट ) यद्यपि गुरुदेवके उपदेशसे विद्यालय के लिये सारे गोड़वाड़ से दो-ढाई लाख रुपयों की रकम लिखी गई, परंतु दुर्भाग्यवशात् वह काग़ज़ में ही लिखी पड़ी रही । मगर गुरुभक्त पंन्यास श्री ललितविजयजी के शुभ प्रयास से वि. सं. १९८३ में श्री वरकाणा तीर्थपर श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यालय की स्थापना हो गई। .. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com