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(५३) सागरविजय इन दो शिष्यों को साथ लेकर आपने वंबईसे विहार किया। बंबईसे अगासी, बलसाड़, बिलीमोरा और सूरत आदि नगरोंमें धर्मप्रचार करते हुए आप पालेजमें पधारे। ___यहां पर कुछ दिन ठहर कर स्त्रीशिक्षा आदि विषयों पर आपने कईएक प्रभाव पूर्ण व्याख्यान दिये, जिनका जनता पर आशातीत प्रभाव पड़ा। इसके अतिरिक्त आपके उपदेशसे यहां के श्रीसंघने श्री महावीर जैन विद्यालय बंबईको एक अच्छी रकमकी सहायता दी ।
यहांसे विहार कर के मीयांगाँव, पादरा, दरापुरा आदि ग्रामोंमें विचरते हुए शांतमूर्ति मुनिमहाराज श्री १०८ हंसविजयजी तथा पन्यास श्री १०८ संपद्विजयजी महाराज के दर्शनार्थ आप मुजपुरमें पधारे। यहां पर अट्ठाई महोत्सव का आरंभ हो रहा था अतः कुछ दिन ठहरना पड़ा। यहां आपके एक दो सार्वजनिक व्याख्यान भी हुए। यहां से विहार कर के आप गुजरातकी सुप्रसिद्ध राजधानी बड़ौदामें पधारे। उधर पूज्य गुरुदेव भी बंबईसे विहार कर के इधर आनेवाले थे; अतः उनके स्वागतार्थ आप पालेज पहुंचे। यहांसे गुरुदेव के साथ २ अनेक ग्राम, नगर और शहरों में विचरते हुए मातर में साचादेव श्री सुमतिनाथ स्वामिकी यात्रा का तथा शांतमूर्ति मुनिराज १०८ श्री हंसविजयजी महाराज के दर्शनोंका लाभ लिया। यहां से संबके साथ आप अहमदाबादमें पधारे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com