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( ४७ ) रतलामसे विहार करके करमदी, दाहोद और गोधरा आदि अनेक छोटे बड़े ग्रामोंको अपनी यात्रा और धर्मोपदेश द्वारा पवित्र करते हुए काठियावाड़ प्रान्तके बोरु ग्राममें आप पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय गुरुदेव श्री वल्लभ विजयजी महाराज के चरणों में उपस्थित हुए।
गुरुदेवके साथ साथ विहार और तीर्थयात्रा
श्री गुरुमहाराज के साथ ही साथ यहांसे आप धौलेरामें पहुंचे। यहांपर साध्वी चन्द्रश्रीको योगोद्वहन कराकर आपने श्री गुरुमहाराजकी अध्यक्षतामें बड़ी दीक्षा दी । विहार कर के आपश्री सिद्धाचलजी पधारे। यहांपर भगवान् आदिनाथ के दर्शन करके, गिरनारमें श्री नेमिनाथ भगवान् के दर्शन किये । कुछ दिन जूनागढ़में ठहर कर श्री संघकी विनतिसे पोरबन्दरकी तर्फ विहार किया । गुरुमहाराजके साथ ही साथ आप बंथली पधारे । यहांपर दान-धर्म-वीर सेठ देवकरण मूलजीका बनाया हुआ एक विशाल जिनमंदिर और जैन धर्मशाळा तथा उपाश्रय है।
ये तीनों ही स्थान स्वर्गीय सेठजीकी उज्वल कीर्तिके चिरस्थायी स्तंभ हैं। यहांसे गुरुमहाराजने मुनि मित्रविजय, समुद्रविजय, वसन्तविजय, प्रभाविजय और विलासविजय आदि पाँच साधुओंके साथ आपका विहार पोरबन्दरको कराया । पोरबन्दरमें आपका बड़ी धूमधामसे स्वागत हुआ। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com