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(४०) बदनावरसे विहार करके वखतगढ़, कानवन आदि नगरोंमें जनताको अपने उपदेशामृतसे कृतार्थकरते हुए श्री संघके विशेष अनुरोध से आप फिर बदनावरमें पधारे । यहांपर श्री संघकी तर्फसे ज्येष्ठ शुक्ला अष्टमी के दिन “ स्वर्गीय न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य श्रीमद्विजयानन्दसूरि (आत्मारामजी ) महाराजके जयन्तीमहोत्सवका बड़े समारोहसे आयोजन किया गया"। आपने स्वर्गीय आचार्यश्रीके जीवनका क्रमिक विकास, अलौकिक प्रतिभा, सत्वनिष्ठा, सजीवत्याग
और उनकेद्वारा जैन संसारपर होनेवाले अनेक प्रकारके उपकारोंका बड़ी ही मार्मिक भाषामें वर्णन किया । आपके इस व्याख्यानसे उपस्थित जनतामें एक अभूतपूर्व संस्कारोंकी जागृति हो उठी । वे अपने में एक नवीन ही परिवर्तन देखने लगे।
___ इस शुभ अवसरपर बड़नगर, कानवन, रतलाम, और मुलथान आदि नगरोंके श्रावक लोगभी अधिकसंख्यामें संमिलित हुए । दोपहरको मंदिरजी में श्री नवपदजी पूजा पढ़ाई गई और साधर्मिवात्सल्य किया गया। तात्पर्य यह है कि बदनावरमें यह महोत्सव अपनी शानका एक ही था । स्वर्गीय आचार्यश्रीके बदनावर में होनेवाले इस अभूतपूर्व जयन्ती महोत्सवसे विपक्षियोंके कैंपमें बड़ी हलचल मचगई। वे तरह २ की बातें बनाने लगे और कईएकने कुछ अनुचितसे प्रश्न भी
आपसे किये । परन्तु, आपने बड़े धैर्य और शांतिसे उनको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com