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उनकी चिर कालकी मुझाई हुई आशालता पल्लवित हो उठी। युवकवर्ग इस खुशीमें फूला नहीं समाता था, परन्तु दैव इसके कुछ प्रतिकूल था अतः आशाकी रेखा निराशाके रूपमें बदल गई । अभी चतुर्मास के बैठने में कुछ देरथी, इसलिये चतुसिका वचन देकर आपने विहार कर दिया । बड़नगरसे आप बदनावरमें पधारे । यहांपर ओसवाल जाति के अनुमान १०० घर हैं। दो प्राचीन मंदिर भी हैं। बड़े मंदिरके भोयरे में संप्रतिराजाकी भराई हुई श्री ऋषभदेव भगवानकी बड़ी अलौकिक और चमत्कारमयी मूर्ति है । परन्तु मूर्तिपूजक जैनोंके घर इससमय १५-२० से अधिक नहीं । आप वहांपर आठ दिन ठहरे । इन आठ दिनोंमें आपने मूर्तिपूजाकी आवश्यकतापर बड़ी ही प्रभावशालीवक्तृतायें दीं। आपका उपदेश आम बाजारमें हुआ करता था। इसके सिवाय जीवदया के महत्वपर आपका एक सार्वजनिक व्याख्यान भी हुआ, जिसमें अन्य लोगोंके अलावा वहांके अधिकारी वर्गने भी लाभ उठाया ।
'सूरीश्वरजयन्ती' जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम् ॥
भा० " सुकृत कार्य करने वाले वे रस-सिद्ध कवीश्वर जयवंते रहतें हैं, जिनके यश रुपी शरीर में जरा, मरण का भय नहीं है?
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