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( ३० ) उद्वहन किया । एवं पंडितजीके पास न्यायका अभ्यास भी करते रहे। ___चातुर्मास के अनंतर विहार करके पालेज-मियांगांव आदि गांवोंमें वि चरते हुए आपने वणच्छरा गांवमें श्री गुरुदेवके दर्शन किये । श्रीगुरुदेवकी आज्ञासे कुछ साधुओंको साथमें लेकर बडौदे पधारे ।
श्रीगुरुदेव अनेक ग्रामोंमें उपकार करते हुवे दर्भावती( डभोई ) नगरीमें पधारे-और इधरसे आपभी बडौदेसे विहार करके आ पधारे। तदनंतर बडौदे में होनेवाले मुनिसंमेलनके निमित्त आप श्रीगुरुदेवके साथ ही संमिलित हुए।
" चातुर्मासिकतपका अनुष्ठान" "कान्तारं न यथेतरो ज्वलयितुं दक्षो दवाग्नि विना, दावाग्नि यथापरः शमयितुं शक्तो विनाम्भोधरम् । निष्णातः पवनं विना निरसितुं नान्यो यथाम्भोधरं, कौंचं तपसा विना किमपरो हन्तुं समर्थस्तथा ॥" .
सकल वनको जलानेमें दावानल, दावानल को शांतकरने में वर्षा, वर्षाको हटानेमें जबरदस्त पवन समर्थ होता है, इसी तरह से कमों को जलानेमें तपश्चर्या समर्थ होती है।
सं० १९६८ का चातुर्मास आपने पूज्यपाद श्रीगुरुमहाराजकी सेवामें दर्भावती "डभोई" में किया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com