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हुई है। आचार्य भगवान की कृपा से दो दिन से कुछ कम है. सिद्धचक्रजी महाराजजी के प्रताप से आराम आजावेगा. शरीर भी अब आगे जैसा नहीं रहा। आप की कृपा से कुछ फिक्र नहीं. अच्छा तो मैं मनोगत अपने भावों को आपके प्रति जाहिर करता हूं।
आप दयालु जो कुछ श्रीजी का हाथ बटा रहे उसके बदले मेरे पास ऐसा कोई शब्द नहीं जो आपकी सेवा में लिखं. हां इतना जरूर है कि जब आप याद आते हैं, आपका स्नेह याद आता है, उस समय दो आंसू की बूंदें तो जरूर गेरता हूं. सच्चे गुरुभक्त हैं तो आप हैं। मैं दावे के साथ कहता हूं कि जो जो कार्य आपने किये हैं वह दूसरा करने में असमर्थ है । धन्य है आपको ।
गुरुकुल के लिए भीआपने जो मदद पहुंचाई उसका बदला है मेरी आत्मा. मैं उस रोज को धन्य मानूंगा जिस दिन सूरीश्वरजी की सोला आना इच्छा पूर्ण होगी. वह सोला आना इच्छा पूर्ण करना सूरीश्वरजी के शिष्यों का प्रथम कर्तव्य है। मगर सब में से आप ही सूरीश्वरजी की इच्छा को संपूर्ण करने में समर्थ हैं. बाकी तो अल्ला अल्ला खैर सल्ला लो अब मेरी सुनो. गुरुकुल के लिए हमें ऐसे नर पैदा करने होंगे जो दस साल तक ६० नकद देकर साल में एक दिन साधर्मिवच्छल कर देवें. ऐसे साधर्मिवत्सल करनेवाले ३६० हो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com