________________
(२०७) जावें तो बस फिर अपने पौबारह. अगर एक २ साल देने वाले भी ७००० हजार निकल आवे तो भी अच्छा है. मैंने तो अपने दिल में धार लिया है. कि देशान्तर में फिर कर गुरुकुल का फंड जमा कराना, अगर मेरे खून के कतरे भी मांगेंगे तो भी देने को तैयार हूं. मगर श्रीजीने जो बूटा लगाया है उसका बड़ा भारी दरख्त बना देना. अगर जिन्दगी रही तो कुछ भक्ति कर लूंगा बरना भाविभाव प्रभा को सु. सा. तपस्वीजी की समुद्र सागरोपेन्द्र की वंदना. बाबाजी की सु. सा. श्री जी की तरफ से सु. सा. आपका
लघु सोहन. - - श्रीउपाध्यायजीने कहां कहां चातुर्मास किये।
स्थान १९६१
पालीताणा ( काठियावाड) १९६२
जीरा
(पंजाब) १९६३
लुधियाना १९६४
अमृतसर १९६५
गुजरांवाला १९६६
पालणपुर (गुजरात. ) १९६७
बडोदा १९६८
भरुच १९६९
डभोइ
संवत्
"
" www.umaragyanbhandar.com
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat