________________
(२०३) जैन विद्यालय को एक लाख रुपया देना चाहता हूँ । उस वक्त उनकी अवस्था वृद्ध थी और शरीर शिथिल था ।
जब हम अहमदावाद पहुंचे तब मोतीचंद गिरधरदास कापड़िया सोलीसिटर पाटण में नगीनदास करमचन्द के उद्यापन में आये हुए थे । उनका पत्र हमें अहमदावाद में मिला, जिसमें उन्होंने लिखा था कि मैं कल पाटण से बम्बई जा रहा हूँ, वहाँ कल एक वड़े मुकदमे की पेशी में हाजिर होना है, इसलिये मैं वाड़ीलाल साराभाई से नहीं मिल सकता। आप जरूर मिलें और उनकी लाख रुपये की रकम के लिए निश्चय करावें।
पत्र मिलने पर हम वाड़ीलाल साराभाई को मिले । वे आमली पोल की धर्मशाला में जहाँ हम ठहरे हुए थे, आकर मिले और झवेरी भोगीलाल ताराचंद लसणिया, वकील केशवलाल प्रेमचंद मोदी B. A., L. L. B., सेठ साराभाई मगनभाई मोदी B. A., आदि सज्जनों की मौजूदगी में उन्होंने हमारे सामने श्री महावीर जैन विद्यालय को एक लाख रुपये देने का निश्चय किया। वहाँसे हम पाटण गये और वहाँ भी अनेक मुनि महात्माओं के दर्शन हुए ।
इस प्रकार स्थान परिवर्तन तथा ज्ञान ध्यान के कार्यों में लगे रहने के कारण उपाध्यायजी महाराज का दुःख कुछ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com