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विजयजी आदि ६ साधु थे और सातवां मैं था। इस समय का बम्बई जाना श्री महावीर जैन विद्यालय की बिल्डिंग को लेकर था।
__ श्री महावीर जैन विद्यालय की स्थापना सम्वत् १९७१ में हो गई थी। उसके ट्रस्टी लोगोंने श्री गुरु महाराज को लिखा था कि केवल किराये में हमारे १८०००) रुपये सालाना खर्च हो रहे हैं सो कृपा करके किसी ऐसे साधु को भेजिये जो इस कार्य में हमारे सहायक बनें । उनकी विनती पर ख्याल कर श्री गुरुदेवने हमको बम्बई भेजा। उसका तात्कालिक परिणाम जो कुछ हुआ, वह श्री महावीर जैन विद्यालय के रीपोर्ट देखने से पता लग सकता है ।
इस चौमासे के लिये जब हम बम्बई जा रहे थे तो पहिली जयन्ती विले पारले में हुई और बम्बई से आये हुए सब सधर्मी भाइयों की भक्ति श्रीयुत् मोतीचंद गिरधर कापडिया सोलीसीटर ने की। उस समय लगभग २७५००) की विद्यालय को प्राप्ति हुई। दूसरे चौमासे के प्रारम्भ में दूसरी जयन्ती अन्धेरी में सेठ सेवंतीलाल नगीनदास के बंगले में हुई, जिसमें लगभग २७०० आदमियोंकी भक्ति का लाभ उन्होंने लिया और ५००० महावीर जैन विद्यालय को भी दिये । सेठ कीकाभाई पहिले कुछ रकम दे चुके थे और फिर
भी कुछ दी । यह सामान्य बातों का दिग्दर्शन है, यों तो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com