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( १८८ ) से लिख कर कटिबद्ध हो जाओ; मैदानमें कूद पडो और ये दोनों कार्य कर दिखाओ। मैं भी तुमको सहयोग देने के लिए सदा तैयार हुं । " हिम्मते मदा मददे खुदा” इस वाक्य को अपने सामने रक्खो। बहादुरो ! अखिरमे तुम्हारी विजय है।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः स्वर्गवासी उपाध्यायजी महाराजका वियोगी शिष्य,
समुद्रविजय.
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