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( १७८) इस जीवनचरित्र में मुख्य २ बातों का ही विवरण किया गया है । उनमें भी कई बातें रह गई हैं, जिन में से कितनीक बातोंका स्मरण आनेपर उनका यहां उल्लेख कर देना अनुचित न होगा।
स्वर्गीय उपाध्यायजी महाराज में विशेष उल्लेखनीय गुण अनन्य गुरुभक्ति का था। गुरुभक्ति करने में आप कभी पीछे नहीं हटते थे । गुरु आज्ञा शिरोधार्य करने के लिए आप सदैव तत्पर रहेते थे । गुरु-कार्यो के लिए आप कष्टोंकी भी परवाह न करते थे, देखिये ।
गुरुभक्ति का नमूना जब गुजरांवाला ( पंजाब )में पवित्र जैनधर्म पर सनातनियोंने व्यर्थ ही में असत्य आक्षेप करने शुरु कर दिये थे, जगत्पूज्य सर्वशास्त्र-निष्णात पंजाबदेशोद्धारक न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य १००८ श्रीमद्विजयानंदरिजी ( श्री आत्मारामजी महाराजकृत-अज्ञानतिमिरभास्कर और श्रीजैनतत्त्वादर्श इन दोनों ग्रंथोंको असत्य ठहराकर जैन धर्मियोंको नीचा दिखानेके लिए भरसक प्रयत्न कर रहे थे,
और परस्पर नोटिसबाजी भी हो रही थी, ऐसे समय में वहाँपर आचार्य महाराज १००८ श्रीमद्विजयकमलसूरिजी
___ *नोट-यह सब वृत्तांत देखनेकी जिज्ञासा हो तो श्रीयुत् कृष्ण
लाल वर्मा कृत आदर्श-जीवन देखिये । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com