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" परिशिष्ट ५ पिंडदादन खां निवासियों की ओर से मानपत्र । परमपूज्य स्वामी जी महाराज ।
हम पिंडदादनखां निवासी हिंदू जिनमें सनातनधर्मी, आर्यसमाजी, सिक्ख, जैन सब भिन्न २ संप्रदायों के लोग सम्मिलित हैं आपके बिहारके समय' अतीव विनय और सच्चे हृदय से आपका धन्यवाद करने के लिये एकत्र हुये हैं। हमारे पास शब्द नहीं हैं कि इस उपकार का जो आप से पिंडदादनखां निवासी हिन्दुओं को आपके यहां थोड़ा समय ठहरनेसे प्राप्त हुआ है वर्णन कर सकें । यह आपके निष्पक्ष धर्मोपदेश, आपके चारित्र, आपके हिन्दु जाति से प्यार तथा अन्य गुणोंका प्रभाव है कि जिसने पिंडदादनखां के हिन्दुओं में नई शक्तिका संचार किया है । इस शहर के हिंदू धडाबाजी, विरोध, ईर्ष्या और परस्परफूट की आग से झुलसे जा रहे थे कि आपकी उपदेश रूपी वर्षाने उनको सर्वनाश से बचालिया और परस्पर प्रेम और सहानुभूति के रंगमें रंग दिया और वह कार्य जो असंभव प्रतीत होता था
और जिसके लिये पहले भी कई प्रकारसे प्रयत्न हो चुकाथा, तुरत कर दिखलाया । हम परमात्मा का धन्यवाद करते हैं कि जिन्होंने आप जैसे महात्मा को इस समय हमारे पास
* मूल उर्दू से अनुवादित ! Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com