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( १७१) कभी एकवार भी आपसे बात करने का अवसर मिला वह आपके-आंतरिक और बाह्यगुणोंसे अवश्यमेव प्रभावित हो गया । आपके व्याख्यान में आकर आयुभर के लिये तृप्ति हो जाती थी । उससे हमारे हृदयमें भी उच्च ध्येय की प्राप्ति की इच्छा उत्पन्न हो गई हैं जिसके लिये हम चिर बाधित रहेंगे । आपके शब्दोंने इस नगर के मृतक हृदयों में अमृत वर्षाका कार्य किया । और आप के अनथक परिश्रम और मानुषता के सिद्धांतने हमें गहरी नींदसे जगा दिया। आपने हमारे लाभ के लिये सेवा समिति बनाकर हमें जीवन दान, दिया। हमें वर्तमानसमय के अनुसार जीवन व्यतीत करने का कर्तव्य सिखाया, धर्मरक्षा के साधन बताये जिनमें से खद्दर का प्रचार और विदेशी खांड का त्याग कराकर हमको देश प्रेम की शिक्षा दी । प्रार्थना है कि आपको अपने उच्च उद्देश्य में सफलता प्राप्त होवे ।
महाराज ! आपके उपकारों का सविस्तर वर्णन करना असंभव है । हम संक्षेप से इस मानपत्र को समाप्त कर हुये प्रार्थी हैं कि भगवान् इस परोपकार-सरोवर को बहुत काल तक बहता रखें जिससे हम लोग फिरभी अपनी प्यास बुझाकर शांति प्राप्त करसकें । तथाऽस्तु ।
१७ रमजान १३४० हिं। आपके चिरबाधित जेठ सं. १९७९ । सनखतरा निवासी मुसलमान ॥
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