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जनिक व्याख्यान हुए । व्याख्यान के अनन्तर वहांके सूबेदारने आपको बड़े ही आदरणीय और समुचित शब्दों में धन्यवाद दिया। ___ वहांसे चलकर किलासोभासिंह में होते हुए आप सनखतरे पधारे । वहांसे नारोवाल और नारोवालसे पुनः सनखतरे पधारे। और वहांसे जम्मूकी तर्फ विहार किया। रास्ते में एक हड़ताल नामका ग्राम आता है। यहांपर एक सरकारी मन्दिर और धर्मशाला है । उस स्थान में अलवर का एक राजपूत और मुसलमान दोनों रहते हैं। इतफाक से आपभी वहां पर पहुंच गये और उन दोनों को उपदेश दिया।
आपके उपदेश का यह फल हुआ कि उन दोनोंने आजीवन मांस न खानेकी प्रतिज्ञा ली। सनखतरा, नारोवाल और जम्मू में आपके सदुपदेशसे श्रीआत्मानन्द जैनगुरुकुल के लिये वहां के लोगोंने ब्रह्मचारियों के भोजनार्थ ६०-६० रु. की कईएक बारियें लिखवाईं।
आप जम्मूसे वापस होकर स्यालकोट में पधारे । यहांपर १ मास तक आपका विराजना रहा । लोगोंने आपके उपदेशसे खुब लाभ उठाया। चैत्र शुक्ला त्रयोदशीको भगवान् श्री महावीरस्वामी का जन्मोत्सव बड़ी धूमधामसे मनाया गया । इस शहर में इस महोत्सव के मनाने का यह प्रथम ही अवसर था ।
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