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( १५२) सात बजे आपश्री को आचार्यपदवी से अलंकृत किया ! ! गुरुदेवके आचार्य पदपर प्रतिष्ठित होनेके बादही आपको उपाध्याय पदवी से विभूषित किया गया ।
गुजरांवाला में ॥ लाहौर से विहार करके गुरुदेवके साथ आप गुजरांवाला में पधारे । इस समय के प्रवेश का समारोह देखने योग्य था । नगर के मुख्य २ बाज़ार ध्वजापताकाओंसे खुब सजाये गयेथे । स्थान २ पर द्वार सजाये हुए थे। जगह २ पर 'गुरुमहाराज की जय' के मोटो लगाये गये थे। __यहांपर ही आचार्यश्री के सदुपदेश, आपके शुभ प्रयत्न और गुरुभक्त पंन्यास श्री ललितविजयजी आदिके परिश्रमसे श्रीआत्मानन्दजैन गुरुकुल की स्थापना के मुहूर्तका निश्चय हुआ।
गुरु महाराज की आज्ञा लेकर यहांसे आप सनखतरा, नारोवाल, और जम्मू आदि नगरों में धर्म प्रचारके लिये पधारे । गुजरांवालेसे विहार करके प्रथम आप पसरूर में पधारे। वहांपर यद्यपि स्थानकवासी सजनों का ही समुदाय है; तथापि आपका स्वागत अच्छा हुआ । आपके दो सार्व
आचार्यपदवी के सम्बन्ध में अधिक देखने की इच्छा रखनेवाले " लाहौर का प्रतिष्ठामहोत्सव और पदवीप्रदान " नामक पुस्तक पढ़ें।
या आदर्शजीवन पृ. ४३२ से देखें । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com