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रोजाना होनेवाले उपदेशमें सभीवर्ग के स्त्रीपुरुष आते और लाभ उठाते थे। आप यहांपर एक सप्ताह रहे।
वहांके अधिकारी वर्ग की प्रार्थनासे आपका एक पब्लिक भाषण हुआ। इस भाषणका श्रोतालोगोंपर बहुत असर हुआ। सबसे अधिक उल्लेखनीय बात यह है कि यहांपर लाला तुलसीरामजी और उनके पुत्र ला. गोकुलचंद, दोनो पिता-पुत्र, १२ वर्षसे झगड़ रहेथे । इनका आपस में बड़े जोर का मुकदमा चल रहा था । समाज के नेता और अधिकारी वर्ग भी इनके झगड़े को मिटानेकी बहुत कोशिश कर चुके परन्तु वह मिटा नहीं । आपके पधारनेपर फिर यह मुआमला पेश आया । आपने दोनों बाप बेटोंको खूब समझाया, तथा ला० नगीनचंदजी खजानची, ला० ताराचन्दनी, ला० कस्तूरचन्दजी और ला० छज्जूमलजी आदिकी अधिक मेहनतसे इनका झगड़ा निपट गया । आपस में राजीनामा हो गया। अतः सभीको बड़ी खुशी हुई। यहां से विहार करके आप लुधियानेमें पधारे; प्रवेश बड़ी धूमधाम से हुआ। यहांपर भी आपके पधारने से कईएक उल्लेखनीय कार्य हुए । महासभा के कईएक सज्जन लाइफ़ मेम्बर बने । सामाजिक सुधारों की योजना की गई।
यहांपर ४०-४५ घर श्वेताम्बर जैनोंके हैं । मन्दिर बड़ा ही विशाल और दर्शनीय है; उपाश्रय भी काफी अच्छा है । यहांपर आपका ८-१० दिन रहना हुआ। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com