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लगन, अनन्य गुरुभक्ति आदि उदाहरणीय गुणों का अनुकरण करके अपने अमूल्य मनुष्य जीवनको सफल करेंगे। सुज्ञेषु किं बहुना ?
ॐ शान्तिः
शान्तिः
शान्तिः ।
निवेदक
१९९२ मागशीर्ष कृष्णा सप्तमी
ता, १७-११-१९३५ श्रीगौडीजी महाराजका उपाश्रय
पायधुनी, बंबई.
गुरुमहाराजका वियोगी शिष्य
समुद्रविजय ।
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