________________
का मैं जितना उपकार मानूं उतना ही थोड़ा है। गुरुदेव ! अधिक क्या लिखू, इस कार्य के लिए मैं सदैव आपका ऋणी हूँ।
विद्वद्वर्य श्रीयुत पंडित हंसराजजी शास्त्रीने अपना अमूल्य समय देकर इस जीवनचरित को तैयार कर दिया और श्रीयुत पंडित भागमल्लजीने मुझे प्रूफ संशोधन के कार्य से मुक्त कर दिया और मानपत्रोंका हिन्दी अनुवाद करनेका भी कष्ट उठाया। अतएव दोनों महोदय भी कम धन्यवाद के पात्र नहीं हैं।
हर्षकी बात है कि गुरुमहाराजद्वारा संस्थापित श्री आत्मानंद जैन महासभा पंजाबने इस चरित्र को प्रकाशित करने का सौभाग्य प्राप्त किया है ।
सुज्ञ पाठक गण ! जिस के लिए आप बहुत समयसे तरस रहेथे, जिस की अधिक समय से चातक की तरह राह देख रहे थे, जिस को पढ़ने के लिए आप उत्सुक होरहे थे वह श्रीआदर्शोपाध्याय अर्थात् उपाध्यायजी श्री सोहनविजयजी महाराजका जीवनचरित्र आप के करकमलों में समर्पित किया जाता है। आशा है कि आप महानुभाव इस को साद्यन्त पढ़ कर चरित्र नायक महात्मा की सत्यनिष्ठा, निर्भयता, परोपकारिता, धर्मसेवा, विद्याप्रचार की Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com