________________
(१३२) साल तक हमेशा प्रभु पूजा करें। परदेश तथा बीमारीकी हालत में आगार है।
(९) भाजीढ़ेरी सबकी खुली कर देनी योग्य है (हां किसी के साथ बर्तना या न बर्तना यह अपने २ मन की बात है) मगर बिरादरी किसीको रोक नहीं सकती।
(१०) साधर्मिक वात्सल्यादि तथा हरएक धर्म कार्य में सब को शामिल होना जरूरी है।
(११) आगे को फिर कुसंप न हो इसलिये श्री जैन श्वेतांबर विजयानंद कमेटी कसूर स्थापन की जावे ।
(१२) श्री मंदिरजी का हिसाब चैत्र सुदि १३ (त्रयोदशी) प्रभु श्री माहावीर के जन्म वाले दिन कमेटी देख लिया करे। जब हिसाब सारा देख लिया जाय तो उसके नीचे कमेटी अपने दस्तखत करदे और तारीख लिख दे।
(१३) श्री मंदिरजी का हिसाब एक ठिकाने ही रहे जो योग्य हो उसके पास रखना कमेटीका अख्तियार है।
(१४) आज तक जो जो किसी के पास श्री मंदिरजीका रुपया हो वह आठ दिन के अंदर अंदर जहां प्रथम श्री मंदिरजी का हिसाब है वहां जमा करा देवें ।
(१५) हमेशा वाच ( चंदा) वगेराह का जो झगड़ा रहता है-उसके वास्ते सोलह आने की पतियां की
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com