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( १३१) लिए नीचे लिखी बातें कहता हूँ। सबसे पहले परस्पर ( आपस में ) खमत खामणे कर लेने चाहिये।
(१) कोई भी शख्स गई गुजरी बात को किसी भी "ठिकाने याद न करें इस बात का नियम हो जाना चाहिए।
(२) धड़े बंदी आज से तोड़ दी जाये। आज से कुल जैन श्वेतांबर संघकी एकही पार्टी होगी।
(३) अब कोई भी बिरादरी से बहार नहीं समझा जाय ।
(४) लाला अमीचन्द पन्नालालजी को एक साधर्मिक वात्सल्य, अष्ट प्रकारी पूजा तथा प्रभावना करनी चाहिए।
( ५ ) लाला अमीचन्दजी के पक्ष वालोंको नवपदजीकी पूजा और प्रभावना करनी चाहिये।
(६) दूसरे पक्ष वालों को श्री सत्तर भेदी पूजा और प्रभावना करनी चाहिये ।
(७) लाला अमीचन्दजी अमृतसरवाले एक साल तक हमेशा प्रभु पूजा करें। अगर किसी खास कारण से न बनसके तो श्री मंदिरजी में जाकर एक माला जरुर गिने । प्रदेश और बीमारी की हालत में आगार है।
(८) लाला प्रभुदयालजी तथा लाला पन्नालालजी एक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com