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चार घर जैनोंके हैं और एक विशाल जैनमंदिरभी है। यहां से अकालगढ़ और पपनाखा आदि नगरोंमें धर्मोपदेश देते हुए आप गुजरांवालामें पधारे।
यहां पर चैत्र शुक्ला १३ को भगवान महावीरस्वामीका जन्मोत्सव बड़ी धूम-धामसे मनाया मया। श्री मंदिरजीमें बड़े ठाठसे पूजा पढ़ाई गई और गरीबोंको भोजन दिया गया। दोपहर के वक्त ब्रह्म अखाड़ेमें सभाका सविस्तर आयोजन किया गया, विज्ञापन बांटे गये, तथा मुनादी कराईगई।
जनता काफी संख्या में उपस्थित हुई । जनतामें विद्वद्वर्ग और अधिकारी वर्गभी उपस्थित हुआ। एक-दो भजन होने के बाद भगवान् महावीरस्वामी के जीवनपर अनुमान दो घंटेतक आपने बड़ाही रोचक और प्रभावशाली व्याख्यान दिया, जिसका जनतापर आशातीत प्रभाव पड़ा ।
कसूरमें गुरुजयन्तीका समारोह ॥ "गुरुतो ऐसा चाहिये, ज्यों सिकलीगर होय ।
जनम जनम का मोरचा, छिनमें डाले खोय।।"
यहांसे विहार करके आप लाहौर और वहांसे कसूरमें पहुंचे। यहां आपका खूब स्वागत हुआ। आपके प्रतिदिन के नियत उपदेशमें सैंकड़ों जैनेतर नर-नारी उपस्थित हुआ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com