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( १२३) थे। तथा अभीतक इनके कुटुम्ब के लोग यहांपर मौजूद हैं । इनमें से लाला हंसराज, और ला. गणेशमलजी आदि कईएक सज्जन भी आपके दर्शनार्थ आया करते थे। इन लोगोंने आपको वहांपर पधारने के लिये भी अनेक वार प्रार्थनाकी ।
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भेरातीर्थकी यात्रा ॥ यहांसे पाँच-छः कोसपर भेरानामक एक बड़ा प्राचीन तीर्थ है । यह वही तीर्थ है, जिसका वर्णन अष्टाह्निका पर्व व्याख्यानमें आता है (जो व्याख्यान हरएक वर्ष पर्यषणा पर्वके आरम्भ में सुनाया जाता है ) । पिण्खुदादनखांसे आप यहां पधारे । जब आपके विहारका लोगोंको पता लगा तो वे श्रद्धासे प्रेरित होकर वाद्यादिलेकर आये । इनलोगोंने जहां आपका प्रवेश बाजेसे कराया था, वहां आपका विहार मी बाजे के ही साथ कराया। आपके पधारनेपर पिण्डदादन खां जहेलम और गुजरांवाला आदि से भी बहुतसे गृहस्थ तीर्थयात्रा और आपके दर्शनार्थ आये। यहां का जैन मंदिर इससमय बहुत ही जीर्ण दशामें है । इसके उद्धारकी नितान्त आवश्यकता है।
जिस मुहल्लेमें यह मन्दिर है उसका नाम भावड़ोंका मुहल्ला है । पंजाब में ओसवालोंको भावड़ा कहते हैं। किसीसमय इस मुहल्लेमें सबके सब जैन ही रहते थे। अब तो
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