________________
(१२२) रेलगाड़ी के एक डब्बे में भी नहीं बैठते । सौभाग्यवश जब आपको यहांपर लानेका विचार हुआ तब इन्होंने आपस में मिकलर यह निश्चय किया कि, जबतक महाराजजी साहेब यहांपर रहें, तबतक आपस में बोलचाल भी रखनी और पूजा प्रभावनामें भी बराबर हिस्सा लेना, परन्तु जब महाराजजी साहेब विहार कर जावें तब से हमारा सबका वही रास्ता होगा, जिसपर कि हम चिरकाल से चले आये हैं।
यह सुनकर आपने ला. छज्जूमल, ला. मूलामल, खरायतीराम, ला. देशराज, और ला. जगन्नाथ को बुलाकर बहुत कुछ समझाया, और इनका यह थोड़े काल का संप, चिरकालसे बदलदिया; अर्थात् इनका आपसमें मेल सदाके लिये करादिया । ये लोग आपस में एक दूसरेसे दिल खोलकर मिले। ___ यहांके प्रसिद्ध धनाढ्य लाला ढेरामलजी, यहांके चुस्त आर्यसमाजी लाला ईश्वरदासजी तथा लाला नानकचन्दजी और ला. मेहरचन्दजी आदि कईएक सज्जन तो आपके पूरे श्रद्धालु बन गये । ये लोग व्याख्यान के अलावा भी दिनमें एक-दोवक्त आपके दर्शनार्थ आया ही करते थे। यहांसे प्रायः दोकोस के फासले पर कलशां नामक एक ग्राम है। यह वही ग्राम है जिसमें परमपूज्य स्वर्गीय आचार्य श्री १००८ विजयानन्दसूरि उर्फ आत्मारामजीमहाराज के पूर्वज रहा करते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com