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( ११९) दीनानाथ आदि जब बुलानेके लिये गये और उन्होंने व्याख्यानमें पधारनेकी प्रार्थना की, तो श्रीयुत खजानची लालजी महाराजने कहा कि यदि आप लोग हमको पहले खबर करते तो हम अपने गुरुमहाराज की आज्ञा मँगवा लेते, अब तो समय नहीं है।
जेहलममें पधारनेसे बड़ा लाभ हुआ। श्री आत्मानन्द जैन सभाकी स्थापना हुई, तथा विदेशी खांडके परित्यागका नियम लियागया । इत्यादि अनेक उल्लेखनीय कार्य हुए ।
॥ पिण्ड दादनखांका सौभाग्य ॥ " साधु मिले सुख ऊपजे, जलमिले मल जाय,
सामा को पावन करे, पोते पावन थाय ॥"
इस प्रकार धर्मप्रभावना करते हुए जेहलमसे विहार करके आप पिंडदादनखामें पधारे । आपका आगमन सुनकर यहांकी जनताने बड़ा आनन्द मनाया । हरएक जाति और संप्रदायके मनुष्य आपको लेनेके लिये आगे आये । आपका प्रवेश बड़ी धूमधामसे हुआ । आप वहांके क्षत्रिय ला० नानकचन्दजीके मकानपर ठहरे । बाज़ारमें आपके चार पाँच व्याख्यान हुए । आपका एक व्याख्यान यहांके आर्यसमाज मन्दिरमें हुआ । आपके उपदेशने यहांपर तो सचमुच जादूका काम किया। वर्षोंसे टूटे हुए दिल फिरसे मिल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com