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(११७) बहुतसे लोग प्रश्नोत्तर करने आया करते थे। उनके प्रश्नोंका उत्तर देने में आप बड़े धैर्य से काम लेते थे। और युक्तियुक्त उत्तर देकर उनको संतुष्ट कर देते थे। यहांपर वसन्त पंचमी के दिन बड़ा भारी मेला लगता है, हजारों मनुष्य एकत्रित होते हैं । बहुतसे लोगोंके आग्रहसे आपने उक्त मेले में बड़े मारकेका धर्मोपदेश दिया । इसके अलावा दो व्याख्यान आपके जेहलम नदीके तटपर हुए । धर्मकी प्रभावना आशासे बढ़कर हुई। ____ आपके इन दो व्याख्यानोंका जनतापर बड़ा ही अनूठा प्रभाव पड़ा । इस समय सभापतिका आसन ला. ठाकुरदास जी नामके एक आर्यसमाजी सज्जन अलंकृत कर रहे थे। सभापतिकी हैसियतसे उन्होंने आपकी प्रशंसा करते हुए कहा-" यद्यपि मैं एक आर्यसमाजी हूँ और वैदिक धर्मपर विश्वास रखनेवाला हूँ; तथापि जैनधर्म सेभी मुझे बहुत प्रेम है । मैंने जैनधर्म संबन्धी बहुत सी पुस्तकें पढ़ीं और संग्रह की हैं। जैनधर्म भारतवर्ष के मुख्य धर्मों में से एक है। यदि भारत वर्ष में जैन धर्मका अधिक प्रचार न होता तो अहिंसाका प्रायः नामोनिशान ही मिट जाता । जैनधर्मके साधु बड़े पवित्र, सदाचारी एवं कंचन और कामिनी के त्यागी होते हैं।
" मैंने आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरिका जीवन चरित्र पढ़ा है, वे अद्वितीय विद्वान थे। उनकी धारणा शक्ति कितनी
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