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आज आपके स्थानक में आपके साधु श्री मोतीलालजी का भाषण है अतः हम भी वहां पर आना चाहते हैं। यद्यपि सार्वजनिक व्याख्यान में किसी को आनेकी कोई मनाही नहीं हो सकती तथापि हमारे आने में यदि आप लोगों को कोई आपत्ति न हो तो आप अपने साधु और अन्य आगेवान गृहस्थों से पूछ कर हमको इत्तला देवें ।
ये दोनों सजन आपकी बात को सुन स्थानक में पहुंचे। वहांपर साधु मोतोलालजी तथा दूसरे कईएक सज्जनोंसे उन्होंने जब इस बातका जिक्र किया तो दो घण्टे तक आपस में खूब गर्मागर्म चर्चा होती रही । अन्तमे यह ही निश्चय हुआ कि आप वहांपर न हीं पधारें तभी अच्छा है।
ला. मेघामलजीने आपसे आकर कहा कि महाराजजी, इस समय तो अवसर नहीं है । आपने हँसकर उत्तर दिया कि भाई ! हमें तो पहले से ही यह सब कुछ मालूम था। अस्तु ।
जम्मूसे विहार करके आप स्यालकोटमें पधारे। स्यालकोट में स्थानकवासी भाइयों के ही घर हैं। यहांपर स्थानकवासी श्रावक लाला लद्धशाहके मकानमें ठहरे। उन दिनोंमें यहांपर प्लेगका कुछ अधिक प्रकोप था। अधिक संख्या में लोग. बाहर चले गये थे । तो भी आपके उपदेश में खासी भीड़ रहती थी। इसके अलावा कांग्रेस कमेटीके सैक्रेदी तथा अन्य लोगों के आग्रह से रामतलाई [ जहां देशके बड़े २ नेताओं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com