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( ९९ ) कोट निवासी लाला पन्नालालजी के उद्योगसे आपका एक बड़े जोरका पबलिक व्याख्यान हुआ । इस व्याख्यानमें हरएक जातिके लोग उपस्थित थे । लोगोंपर धर्मकी अभिरुचिका बहुत गहरा प्रभाव पड़ा । यहांसे चलकर आप नुणान ग्राममें पधारे। यहांपर जैनेतर लोगोंने आपका जी खोलकर स्वागत किया । आपके जाहिर भाषणमें हरजाति और हर संप्रदायके लोग सैंकड़ोंकी तादादमें उपस्थित हुए। सबने बड़े प्रेमसे आपके उपदेशको सुना ।
यहांसे विहार करके आप सनखतरेमें पधारे । सनखतरा निवासी लोग अपनी इच्छाको सफल हुई देख बड़े आनन्दित हुए । आपका प्रवेश बड़ी धूमधामसे हुआ । हरएक जाति और संप्रदायके लोगोंने दिल खोलकर आपका स्वागत किया । आपके व्याख्यानमें सैंकड़ों लोग जमा होते थे। प्रान्तके ग्रामनिवासी भी आपकी मधुरवाणीसे खिंचे हुए चले आते थे । चतुर्मासमें खूब धर्मकी प्रभावना और जागृति हुई। " एक घड़ी आधी घड़ी, आधीमें पुनि आध । तुलसी संगत साधुकी, हरै कोटि अपराध ॥"
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