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गुरु महाराज के आदर्श जीवनपर प्रकाश डाला । श्रोताओंपर आपके व्याख्यानका बड़ा गहरा असर पड़ा ।
यहां पर पुनः सबने मिलकर आपसे सनखतरे में चतुमस करनेकी पुरजोर प्रार्थना की ।
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॥ उपदेशका असर ॥
" धर्म धर्म सबको कहे, धर्म न जाने मर्म । धर्म मर्म जान्या पछी, कोइ न बांधे कर्म ॥ "
महात्मा पुरुषों का उपदेश अपने अन्दर एक खास शक्ति रखता है । नारोवालमें आपके उपदेशका कितना प्रभाव पड़ा, इसका एक उदाहरण यहांपर दे देना काफी होगा । एक अकाली सिखके यहां विवाह था । विवाहमें आनेवाले सज्जनोंके स्वागत के लिये कुछ बकरे भी झटकाने को रखे हुए थे । वह सिख महोदय आपके व्याख्यानमें प्रतिदिन आया करते थे । आपके उपदेश का असर उनके दिलपर बहुत पड़ा। उस सिख महाशयने अपनी जातिके लोगों से कहा कि मेरे हृदयमें अब इतनी कठोरता नहीं रही, जिससे कि मैं इन निरपराध जीवोंका केवल जिह्वाके स्वाद के वास्ते वध करूं । यह काम मुझसे अब हरगिज़ न होगा । आप लोग अन्यान्य भोज्य पदार्थोंसे आये हुए मेहमानों की
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