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(९६) मनाया जाता है। उसरोज़ प्रायः सभीजगह इस उत्सव की धूम रहती है, इसलिये अष्टमीकी बजाय यहांपर पंचमीके दिन उक्त उत्सव मनाना कुछ ठीक समझ कर जयन्ती महोत्सव मनाया गया। तदनुसार नारोवल श्री संघकी तरफ से उसकी तैयारी की गई । गुजरांवाला आदि स्थानोंसे कई लोग आये थे । सनखतरेसे अनेक हिन्दू मुसलमान सज्जन पधारे; बाहरसे अनुमान १५०० आदमी आये थे । आपके प्रेमके मारे दूर २ से लोग खिंचे चले आये । आसपास के भी सैंकड़ों लोग सवारी देखनेके लिये आये थे । सवारी में आर्यसमाज की भजन-मंडली, अकाली सिक्खों की भजनमंडली, सनखतरेकी हिन्दूभजनमंडली और गुजरांवालेकी भजनमंडली आदि भजन मंडलियोंने खूब ही आनन्द किया । सवारी की धूम धामने लोगोंको खूब ही उत्साहित किया, छठके रोज एक आम जलसा किया गया । सभापति का स्थान स्वर्गीय गुरु महाराजके परमभक्त वृद्ध श्रावक सनखतरा निवासी लाला अनन्तरामजी ने ग्रहण किया । उपस्थित सजनोंकी तादाद प्रायः तीन हजारसे कम न थी।
जलसे में प्रथम गुजरांवाला की भजनमंडलीके मनोहर भजन हुए, बादमें अन्य भजन मंडलियोंने अपने भजनोंसे श्रोताओंका मन रंजित किया। फिर कई एक सज्जनों के व्याख्यान हुए। अन्तमें आपने बड़ी ओजस्वी भाषामें स्वर्गीय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com