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बड़ा प्रभाव पड़ा । चारों तरफ से धन्य २ की आवाजें आने लगीं; बहुत से लोगोंने तो उन पर रुपये वारकर गरीबों को बाँटे । अन्य जो लोग इस धन्धे ( अर्थात् कसाईपन ) को करते थे, उन पर भी इस प्रतिज्ञाका बड़ा गहरा असर पड़ा । उनसबने मिल कर वर्षभर में चार दिन बिना कुछ लिये दिये, जबतक वे यह धन्धा करें, और जबतक सनखतरा कायम रहे, अपनी २ दुकान बन्द रखने की प्रतिज्ञा की; और इस प्रतिज्ञाको लिपिबद्ध करवाकर अपने हस्ताक्षर करके आपको वह प्रतिज्ञा पत्र अर्पण कर दिया ।
वर्ष भर में जिन चार दिनोंमें दुकानें बन्द रखने की प्रतिज्ञा की; वे चार दिन ये हैं:
( १ ) स्वर्गीय आचार्य श्री १००८ विजयानन्दसूरि उर्फ आत्मारामजी महाराजकी स्वर्गवास तिथि, ज्ये. अष्टमी का दिन ।
शु. ८
( २ ) कार्तिक शुक्ला १५ का दिन ।
( ३ ) भाद्रपद कृष्णा १२ का दिन |
( ४ ) भाद्रपद शुक्ला ४ संवत्सरीका दिन ।
कस्य नाभ्युदये हेतुर्भवेत्साधुसमागमः
सनखतरा से आपको विहार करते देख सब नगरनिवासियोंने आपसे सनखतरे में चतुर्मास करने की प्रार्थना की ।
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