________________
( ९० )
राज श्री १००८ श्रीमद्विजयवल्लभसूरिजी महाराजका पंजाब में पधारना हुआ था ।
आपश्रीका प्रथम प्रवेश होशयारपुर में कराने के लिये श्रीयुत लाला दौलतरामजी होशयारपुर निवासीने बड़ा परिश्रम कियाथा | पंजाबके हज़ारों स्त्रीपुरुष होशयारपुरमें आ रहे थे । प्रतिदिन गुरुदेवके दर्शनोंके लिये सैंकड़ों स्त्रीपुरुष सामने आते थे ।
गुरुदेवका होशयारपुर में प्रवेश समारोह |
आदमपुर से विहार करके गुरुमहाराज परिवार के साथ होशयारपुर में पधारे । होशयारपुरका प्रवेश समारोह अपनी शानका एक ही था ।
I
लगभग चार-पाँच हज़ार स्त्री-पुरुष बाहिर से आये हुए थे । इस प्रवेश में सबसे प्रथम उल्लेखनीय यह है कि हरएक जैन स्त्री-पुरुष शुद्ध स्वदेशी वस्त्रोंसे अपने को आच्छादित किये हुए था, एक बच्चा भी ऐसा न था कि जिसके तनपर अशुद्ध विदेशी वस्त्र हों । *होशयारपुरमें गुरुदेव के चरणों में कुछ समय रहकर आपने श्री गुरुदेव की आज्ञासे अपनी जन्मभूमि जम्मूकी तरफ़ विहार किया ।
* उस समय पंजाब देशमें स्वदेशी - स्वराज्य की लहर बड़े जोरों से चल रही थी ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com