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( ८३ ) आपको पट्टीमें पधारनेकी विनति करने आये । यहांसे आप पट्टीमें पधारे । आपका प्रवेश बड़ी शान से हुआ। आपके उपदेश में सैंकड़ों स्त्रीपुरुष, जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, सभी जातियों के लोग रहते थे, उपस्थित होते थे । आपके पधारने पर लालाजी वामल मुकंदीलाल और लाला फकीरचन्दकी धर्मपत्नीने ज्ञानपंचमीका उद्यापन कराया। इस उत्सवपर अंबाला और जंडियालाकी भजन मंडलियाँ भी आई हुई थीं । बाहर मंडीमें आपका एक सार्वजनिक व्याख्यान भी हुआ, जिसमें हिन्दू सज्जनों के अलावा बहुत से मुसलमान गृहस्थ भी हाजिर थे। यहांपर धर्मकी अच्छी प्रभावना हुई।
पट्टीसे विहार करके आप सरिहाली में पधारे । यहां पर दो तीन घर जैनों के हैं, परन्तु आपके व्याख्यान में सैंकड़ों लोग जमा हो जाते थे । आप यहांपर ४-५ रोज विराजे । आपके उपदेशसे बहुतसे लोगोंने मांस और मदिराका परित्याग किया। एक सेवा समिति भी कायम हुई। यहां कालीयावाडी (गुजरात) से शेठ रायचंद मोतीचंद आदि आपके दर्शनार्थ आये। यहांसे चलकर जंडीयाला गुरुके श्री संघकी विनतिसे तरणतारण होते हुए आप जंडियाला गुरु में पधारे । जंडियाला गुरु के श्री संघने आपका स्वागतबड़े ही समारोहसे किया ।
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