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( ८२ ) सम्मानपत्रका उत्तर देते हुए आपने भगवान् रामके जीवनपर एक नवीन ही प्रकाशडालने वाली छोटीसी वक्तृता दी । जिसमे बतलाया
“ यांति न्यायप्रवृत्तस्य तिर्यंचोपि सहायताम् । अपन्थानं तु गच्छन्तं सोदरोपि विमुंचति ॥" जिसका श्रोताजनोंपर कुछ अपूर्वही प्रभाव पड़ा।
____“वीरजयन्ती" श्री रामजयन्ती के बाद जीरा निवासी जैन गृहस्थोंकी तरफ से चैत्र शुक्ला १३ के रोज रामजयंतीके मंडपमें ही भगवान महावीर स्वामीके जन्मदिनका उत्सव भी बड़ी धूम धामसे मनाया गया । उस रोज़ श्रीसंघकी तरफ से गरीबोंको भोजन दिया गया । सभामंडपमें भगवान महावीर स्वामीके जीवनपर आपने एक बड़ा ही मनोहर और शिक्षाप्रद भाषण दिया । भगवान महावीर स्वामीके जीवनसे आत्मसुधारकी क्या शिक्षा मिलती है, इसका आपने बहुतही अच्छा विवेचन किया।
जीरासे पट्टी जंडयाला, अमृतसर लाहौर
होते हुए गुजरांवालामें ॥ जीरेमें आप विराजमान थे कि पट्टीके कई एक गृहस्थ
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