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( ७६ ) कर्मचन्दजी सेठिया, सेठ जेठमलजी सुराणा, सेठ देवीचन्दजी छीपाणी और सोहनलालजीकोचर तथा श्रीयुत फूलचंद जी झाबक आदि अनेक सद्गृहस्थ आपके दर्शनार्थ आये और सुराणाजी के साथ पंडित हंसराज शास्त्री भी पधारे ।
आपका प्रवेश बड़ी धूमधामसे हुआ। सहस्रों भावुक स्त्रीपुरुष आपके साथ २ आरहे थे । सरदारशहरके लिये आपका यह प्रवेश अभूत-पूर्वथा । आप यहां पर अनुमान आठ रोज़ ठहरे । प्रतिदिन आपका खुले तौर पर उपदेश होता रहा; दया, दान और प्रभु पूजा आदि विषयोंपर आपके बड़े ही प्रभावशाली व्याख्यान हुए । सैंकड़ों स्त्री पुरुषोंने आपके उपदेश और दर्शनसे अपूर्व लाभ उठाया। अनेक ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र तथा मुसलमान लोग व्याख्यानके बाद भी आपके पास आते और मनमाने प्रश्न करते, परन्तु आप बड़ी गम्भीरतासे सबके प्रश्नोंका समाधान करते । बहुतसे तेरहपन्थीलोगोंने भी आपके उपदेशामृतके पान करनेका सौभाग्य प्राप्त किया।
आदि विषयों
व्याख्यान
देश
इसके अलावा खुले मैदानमें पंजाबके सुप्रसिद्ध वक्ता पं. डित हंसराज शास्त्री के भी लगातार ३-४ दिन व्याख्यान हुए।
हमारे चरित्रनायकके, दया दान, प्रभुपूजा, जैन धर्म के मन्तव्य आदि विषयोंपर दिये हुए व्याख्यानोंका जनता पर इस कदर प्रभाव पड़ा कि तमाम लोग आपका हृदय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com