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( ७३ ) बिलकुल कमी थी। केवल मासिक चंदे पर ही वह यथाकथंचित् चल रहाथा। आपने स्कूलकी डावाडोल स्थिति को देखकर पर्वाधिराज श्री पर्युषणा पर्वके दिनों लोगों के एकत्रित होनेपर उक्त स्कूलको सुव्यवस्थित बनाने के लिये उपदेश दिया ।
आपके इस समयके उपदेश का उपस्थित जनतापर कुछ निराला ही प्रभाव पड़ा; उसीवक्त स्कूल फंड में ५०००० की रकम लिखी गई । धीरे २ चतुर्मास के मध्यमें स्थायीफंड में अनुमान डेढ लाख रुपया लिखा गया। जिसमें २१००० धर्ममूर्ति सेठ सुमेरमलजी सुराणा २१००० धर्मप्रेमी सेठ कालूरामजी लक्ष्मीचन्दजी कोचर और २१००० सेठ जावतमलजी रामपुरियाने दिया। स्कूलका कोई अपना मकान नहीं था जिससे कि बड़ी दिक्कत उठानी पड़ती थी इसलिये स्थान की कमी को भी किसी सजन को पूरा करदेना चाहिये, इत्यादि आपके उपदेश को सुनकर सेठ हजारीमलजी कोचरने अपनी अनुमान पञ्चीस तीस हज़ार रुपये की लागतकी कोठी स्कूल को अर्पण कर दी । श्रीयुत नेमचंदजी अभाणीकी धर्मपत्नी धर्मनिष्ठा धापु बाईने अपना १००० रुपये की लागत का मकान भी स्कूल को देदिया । इस प्रकार आपकी कृपासे स्कूल का काम बड़ी अच्छी तरहसे चलने लगा।
यहांपर इतना कह देना अनुचित न होगा कि आपके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com