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(७२) व्याख्यानों के अनन्तर स्वर्गीय आचार्यश्री की जीवनी आपने बड़ी ही उत्तमतासे सुनाकर श्रोताओंपर प्रभाव डाला । उत्सव की समाप्ति पर सुराणाजी साहेब की तरफसे श्रीफलों की प्रभावना बांटी गई। - आपका विक्रमसंवत् १९७७ का चातुर्मास बीकानेर में हुआ । चातुर्मास में पूजा प्रभावना और तपश्चर्या आदि धर्मकृत्य अच्छे हुए । आपकी सरलता के प्रभावसे तपगच्छके अतिरिक्त खरतरगच्छ के श्रावकश्राविकाओंने भी आपके धर्मोपदेशसे अच्छा लाभ उठाया । यतः उक्तम्
" तास्तु वाचः सभायोग्या याश्चित्ताकर्षणक्षमाः। स्वेषां परेषां विदुषां द्विषामविदुषामपि"।
स्कूलके लिये स्थायीफंड चारित्र्यं चिनुते तनोति विनयं ज्ञानं नयत्युन्नति, पुष्णाति प्रशमं तपः प्रबलयत्युल्लासयत्यागमम् । पुण्यं कंदलयत्य, दलयति स्वर्ग ददाति क्रमान्, निर्वाणश्रियमातनोति निहितं पात्रे पवित्रं धनम् ॥
भा०-पात्र में दिया, अच्छे कामों में खर्चा हुआ धन क्रमसें मोक्षसुखको देता है।
बीकानेर में एक जैन हाईकूल है, उसमें स्थायीफंड की
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