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मैंने दुनिया के हर एक देश की यात्रा की है । मैं अनेक महापुरुषों से मिली हूं । अन्त में मैं गुरुदेव महाराज श्री शान्तिसूरीश्वरजी से भी मिली। हम पाश्चात्य लोगों में इतना तो ठीक है कि हम किसी बात को बराबर समझ कर ही, मानते हैं। हम अपने मन से पूछते हैं कि प्रत्येक वस्तु में क्या बात है ? मिस मेयो ने मदर इंडिया नामक जो पुस्तक लिखी है उसे लिखते हुए उसने बड़ी भूल को है। कारण यह है कि हिन्दुस्तान में अभी तक ऐसे देवरत्न विद्यमान हैं तो फिर उसने क्या समझकर पुस्तक लिखी होगी? अब तो मैं उसे बराबर जवाब दूंगी, जिससे कि उसकी भूल मालूम हो जायगी और दुनिया पूरी तरह सचाई को समझ सकेगी। गुरुजी परमेश्वर ही हैं इसमें कोई भी सन्देह नहीं है।
दी पावर प्रॉफ इंडिया आदि
पुस्तकों की रचयित्री परम कल्याणमंत्र महान विदुषी मिस माइकेल पोम, पुस्तक में से सम्पादिका, ट्रिब्यून हेरल्ड, न्यूयॉर्क
I had travelled in every country of the world and had come in touch with many great souls. At last I met Gurudev Shree Shanti Surishwarji. It is, of course, obvious for the Westerners that they accept a thing only upon rational understanding. We, Westerners must inquire into the reason of everything.
Miss Mayo, the Author of Mother India must have committed a great blunder in writing that book. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com