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देने में जो सहयोग दिया है वह भूला नहीं जाता समाज उक्त महाराणाओं की चिर ऋणी है ।
इतनो भूमिका बताकर हम यह कहना चाहते हैं, कि कई राजवियों के आगमन व भक्ति और गुरुपद की मान्यता की विभूति का लाभ समय सूचकता से जैन समाज नहीं ले सकी, और आपसी प्रेम नहीं बढ़ाया ।
एक बार अहमदाबाद के मान्यवर सज्जन पुरुषों ने मुझे बम्मनवाड़ योगिराज के पास भेजा था तब मैं एक महिने तक ठहरा था उस समय महाराजा बीकानेर का पदार्पण हुआ था, आज्ञा से मैंने आसन बिछाया, नरेश महोदय ने पांव से अलग फेंक आप नीचे बैठ गये यह दृश्य आंखों देखा है, जनता खबर पाते ही एकत्र हो गई थी, नरेश प्रज्ञा से नारियल की प्रभावना की गई फिर आप मन्दिर में दर्शनार्थ पधारे योग्य भेट रख बिदा हो गये ।
योग विभूति से अजब काम सिद्ध होते हैं, योग का साधारण अर्थ मिलान है, योग अंक गणित के परिणाम को कहते हैं, एक से दूसरा मिले वह भी योग कहा जाता है, इनके भेद में सुयोग कुयोग संयोग राजयोग आदि भी आते हैं। योग महात्म्य में परम ज्योतिर्मय परम श्रात्मा के सम्मिलित होने का भाव हो, प्रयत्न हो, प्रेरणा हो उसको भी योग कहते हैं । राज-अधिकार का नाम है, राज सम्पन्न सेना धन अमात्य प्रजाजन को स्व आज्ञा के आधीन रखते हैं, उसीका नाम राज कहा जाता है, योगी भी आत्मा की सेना आत्मा का अमात्य मन इन्द्रियां, विकार इच्छा पर अंकुश रखने वाले होते हैं,
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