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योगियों का योग मार्ग
योगियों को योग साध्य करने से पहले योगके पाठ नियम का अध्ययन आवश्यकिय होता है। यम, नियम,प्राणायाम परिहार, धारणा ध्यान ध्येय और समाधी यह योग के अंग हैं। बाद में पाठ दृष्टि योग की होती है । योगका मुख्य अंग ध्यान माना गया है, ध्यान करने वालोंको, आकर्षण, वशीकरण, स्तम्भन, मोहन, द्रुति, निविषीकरण, शांति विद्वेष, उच्चाटन निग्रह आदि के भेद जानना चाहिए। इन का मनन करने के बाद पूरक कुंभक रेचक दहन, प्लावन, सकलीकरण, मुद्रा, मंत्र मंडल धारणा ध्यान, ध्येय, समाधी यह सब उत्तरोतर वृद्धिपाते रहें, तब योग सिद्ध होता है। ध्यान करनेवाले को मुख्य दशस्थान मुख पर व मस्तिष्क पर अवलम्बित कर स्थिरता करना चाहिए। इन सबमें मन की चपलता को रोकने का प्रयत्न न किया हो तो सिद्धि नहीं होती । मन है क्या यह समझे बगैर इस पर अंकुश कैसे लगे। इन्द्रियों का शरीर का वर्णन विषय विकार प्रकार का वर्णन देह के साथ सम्बन्धित है, इनका रूप भी वणित है। मन का कोई रूप नहीं है, आत्मा का भी रूप नहीं है, फिर मन बलवान वेग गतिवाला कैसे बन जाता है ? जैसे जड़ वस्तु के मिश्रण से अमुक शक्ति का प्रादुर्भाव होता है, वह दृष्टि में नहीं आता, जल में शीतलता का गुण है, परन्तु अमुक प्रयोग मिश्रण से
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