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________________ आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र-२, 'अनुयोगद्वार' पुन्नागवन, इक्षुवन, द्राक्षावन, शालवन, ये सब प्रधानपदनिष्पन्ननाम हैं । अनादिसिद्धान्तनिष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार है-धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय, अद्धासमय । नामनिष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार है-पिता या पितामह अथवा पिता के पितामह के नाम से निष्पन्न नाम नामनिष्पन्ननाम है । अवयवनिष्पन्ननाम क्या है ? इस प्रकार जाननासूत्र-२३६-२३८ शृंगी, शिखी, विषाणी, दंष्ट्री, पक्षी, खुरी, नखी, वाली, द्विपद, चतुष्पद, बहुपद, लांगूली, केशरी, ककुदी आदि । परिकरबंधन-विशिष्ट रचना युक्त वस्त्रों के पहनने से-कमर कसने से योद्धा पहिचाना जाता है, विशिष्ट प्रकार के वस्त्रों को पहनने से महिला पहिचानी जाती है, एक कण पकने से द्रोणपरिमित अन्न का पकना और एक ही गाथा के सुनने से कवि को पहिचाना जाता है । यह सब अवयवनिष्पन्ननाम हैं। संयोगनिष्पन्ननाम क्या है ? संयोग चार प्रकार का है-द्रव्यसंयोग, क्षेत्रसंयोग, कालसंयोग, भावसंयोग । द्रव्यसंयोग तीन प्रकार का है, सचित्तद्रव्यसंयोग, अचित्तद्रव्यसंयोग, मिश्रद्रव्यसंयोग । सचित्तद्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार है-गाय के संयोग से गोमन्, महिषी के संयोग से महिषीमान्, मेषियों के संयोग से मेषीमान् ओर ऊंटनियों के संयोग से उष्ट्रीपाल नाम होना आदि सचित्तद्रव्यसंयोग से निष्पन्न नाम हैं । अचित्त द्रव्य के संयोग से निष्पन्न नाम का यह स्वरूप है-छत्र के संयोग से छत्री, दंड के संयोग से दंडी, पट के संयोग से पटी, घट के संयोग से घटी, कट के संयोग से कटी आदि नाम अचित्तद्रव्यसंयोगनिष्पन्ननाम हैं । मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्न नाम का स्वरूप इस प्रकार जानना-हल के संयोग से हालिक, शकट के संयोग से शाकटिक, रथ के संयोग से रथिक, नाव के संयोग से नाविक आदि नाम मिश्रद्रव्यसंयोगनिष्पन्ननाम हैं। क्षेत्रसंयोग से निष्पन्न नाम क्या है ? इस प्रकार है-यह भरतक्षेत्रीय है, ऐरावतक्षेत्रीय है, हेमवतक्षेत्रीय है, ऐरण्यवतक्षेत्रीय है, यावत् यह उत्तरकुरुक्षेत्रीय है । अथवा यह मागधीय है, मालवीय है, सौराष्ट्रीय है, महाराष्ट्रीय है, आदि नाम क्षेत्रसंयोगनिष्पन्न नाम हैं । कालसंयोग से निष्पन्न नाम क्या है ? इस प्रकार है-सुषमसुषम काल में उत्पन्न होने से यह ‘सुषम-सुषमज' है, सुषमकाल में उत्पन्न होने से 'सुषमज' है । इसी प्रकार से सुषमदुषमज, दुषमसुषमज, दुषमज, दुषमदुषमज नाम भी जानना । अथवा यह प्रावृषिक है, यह वर्षारात्रिक है, यह शारद है, हेमन्तक है, वासन्तक है, ग्रीष्मक है आदि सभी नाम कालसंयोग से निष्पन्न नाम हैं। भावसंयोगनिष्पन्ननाम क्या है ? दो प्रकार हैं । प्रशस्तभावसंयोगज, अप्रशस्तभावसंयोगज । प्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्न नाम क्या है ? ज्ञान के संयोग से ज्ञानी, दर्शन के संयोग से दर्शनी, चारित्र के संयोग से चारित्री नाम होना प्रशस्तभावसंयोग-निष्पन्न नाम है । अप्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्न नाम क्या है ? क्रोध के संयोग से क्रोधी, मान के संयोग से मानी, माया के संयोग से मायी और लोभ के संयोग से लोभी नाम होना अप्रशस्तभावसंयोगनिष्पन्न नाम हैं । इसी प्रकार से भावसंयोगजनाम का स्वरूप और साथ ही संयोगनिष्पन्न नाम की वक्तव्यता जानना । प्रमाण से निष्पन्न नाम क्या है ? चार प्रकार है । नामप्रमाण से निष्पन्न नाम, स्थापनाप्रमाण से निष्पन्न नाम, द्रव्यप्रमाण से निष्पन्न नाम, भावप्रमाण से निष्पन्न नाम । नामप्रमाणनिष्पन्न नाम क्या है ? इस प्रकार है-किसी जीव या अजीव का अथवा जीवों या अजीवों का, तदुभव का अथवा तदुभयों का प्रमाण' ऐसा जो नाम रख लिया जाता है, वह नामप्रमाण और उससे निष्पन्न नाम नामप्रमाण निष्पन्ननाम हैं। स्थापनाप्रमाणनिष्पन्न नाम क्या है ? सात प्रकार का है। सूत्र - २३९ नक्षत्रनाम, देवनाम, कुलनाम, पाषंडनाम, गणनाम, जीवितनाम और आभिप्रायिकनाम । सूत्र-२४० नक्षत्रनाम-क्या है ? वह इस प्रकार है-कृतिका नक्षत्र में जन्मे का कृत्तिक, कृत्तिकादत्त, कृत्तिकाधर्म, कृत्तिकाशर्म, कृत्तिकादेव, कृत्तिकादास, कृत्तिकासेन, कृत्तिकारक्षित आदि नाम रखना । रोहिणी नक्षत्र में उत्पन्न मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद' Page 34
SR No.034714
Book TitleAgam 45 Anuyogdwar Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages67
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size3 MB
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