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आगम सूत्र ४५, चूलिकासूत्र-२, 'अनुयोगद्वार' सूत्र - ४७-४९
उदात्तादि विविध स्वरों तथा ककारादि अनेक व्यंजनों से युक्त उस श्रुत के एकार्थवाचक नाम इस प्रकार हैं-श्रुत, सूत्र, ग्रन्थ, सिद्धान्त, शासन, आज्ञा, वचन, उपदेश, प्रज्ञापना, आगम, ये सभी श्रुत के एकार्थक पर्याय हैं। इस प्रकार से श्रुत की वक्तव्यता समाप्त हुई। सूत्र-५०
स्कन्ध क्या है ? स्कन्ध के चार प्रकार हैं । नामस्कन्ध, स्थापनास्कन्ध, द्रव्यस्कन्ध, भावस्कन्ध । सूत्र-५१
नामस्कन्ध क्या है ? जिस किसी जीव या अजीव का यावत् स्कन्ध यह नाम रखा जाता है, वह नामस्कन्ध हैं । स्थापनास्कन्ध क्या है ? काष्ठादि में यह स्कन्ध है। इस प्रकार का जो आरोप किया जाता है, वह स्थापनास्कन्ध है । नाम और स्थापना में क्या अन्तर है ? नाम यावत्कथित होता है परन्तु स्थापना इत्वरिक और यावत्कथित दोनों होती हैं। सूत्र-५२
द्रव्यस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का है। आगमद्रव्यस्कन्ध और नोआगमद्रव्यस्कन्ध । आगमद्रव्यस्कन्ध क्या है ? जिसने स्कन्धपद को गुरु से सीखा है, स्थित किया है, जित, मित किया है यावत् नैगमनय की अपेक्षा एक अनुपयुक्त आत्मा आगम से एक द्रव्यस्कन्ध है, दो अनुपयुक्त आत्माएँ दो, इस प्रकार जितनी भी अनुपयुक्त आत्माएँ हैं, उतने ही आगमद्रव्यस्कन्ध जानना । इसी तरह व्यवहारनय को भी जानना । संग्रहनय एक अनुपयुक्त आत्मा एक द्रव्यस्कन्ध और अनेक अनुपयुक्त आत्माएँ अनेक आगमद्रव्यस्कन्ध ऐसा स्वीकार नहीं करता, किन्तु सभी को एक ही आगमद्रव्यस्कन्ध मानता है । ऋजुसूत्रनय से एक अनुपयुक्त आत्मा एक आगमद्रव्यस्कन्ध है । वह भेदों को स्वीकार नहीं करता है। तीनों शब्दनय ज्ञायक यदि अनुपयुक्त हों तो उसे अवस्तु मानते हैं । क्योंकि जो ज्ञायक है वह अनुपयुक्त नहीं होता है।
नोआगमद्रव्यस्कन्ध क्या है ? तीन प्रकार का है । ज्ञायकशरीरद्रव्यस्कन्ध, भव्यशरीरद्रव्यस्कन्ध और ज्ञायकशरीर-भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यस्कन्ध । ज्ञायकशरीरद्रव्यस्कन्ध क्या है ? स्कन्धपद के अर्थाधिकार को जाननेवाले यावत् जिसने स्कन्ध पद का अध्ययन किया था, प्रतिपादन किया था आदि पूर्ववत् । भव्यशरीरद्रव्यस्कन्ध क्या है ? समय पूर्ण होने पर यथाकाल कोई योनिस्थान से बाहर निकला ओर वह यावत् भविष्य में स्कन्ध' इस पद के अर्थ को सीखेगा, उस जीव का शरीर भव्यशरीरद्रव्यस्कन्ध है । इसका दृष्टान्त ? भविष्य में यह मधुकुंभ है, यह घृतकुंभ है । ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्त द्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके तीन प्रकार हैं। सचित्त, अचित्त और मिश्र । सूत्र - ५३
सचित्तद्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं । हयस्कन्ध, गजस्कन्ध, किन्नरस्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरग-स्कन्ध, वृषभस्कन्ध । यह सचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है। सूत्र-५४
अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप क्या है ? अनेक प्रकार का है । द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध यावत् दसप्रदेशिक स्कन्ध, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध ।
यह अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है। सूत्र-५५
__ मिश्रद्रव्यस्कन्ध क्या है ? अनेक प्रकार का है । सेना का अग्रिम स्कन्ध, सेना का मध्यस्कन्ध, सेना का अंतिम स्कन्ध। यह मिश्रद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (अनुयोगद्वार) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद'
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