________________
आगम सूत्र ३७, छेदसूत्र-४, 'दशाश्रुतस्कन्ध
उद्देशक / सूत्र
स्थविर भगवंत ने यह बीस असमाधि स्थान बताए हैं उस प्रकार मैं कहता हूँ । लेकिन यहाँ बीस की गिनती एक आधाररूप से रखी गई है। इस प्रकार के अन्य कईं असमाधिस्थान हो सकते हैं। लेकिन उन सबका समावेश इस बीस की अंतर्गत जानना समझना जैसे कि ज्यादा शय्या-आसन रखना । तो वहाँ अधिक वस्त्र, पात्र, उपकरण वो सब दोष सामिल हो ऐसा समझ लेना ।
चित्त समाधि के लिए यह सब असमाधि स्थान का त्याग करना ।
दशा-१ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " ( दशाश्रुतस्कन्ध)' आगम सूत्र- हिन्दी अनुवाद"
Page 6