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________________ आगम सूत्र २१, उपांगसूत्र- १०, 'पुष्पिका' अध्ययन / सूत्र अध्ययन-५- पूर्णभद्र सूत्र - ९ भगवन् ! यदि श्रमण यावत् निर्वाणप्राप्त भगवान महावीर ने पुष्पिका नामक उपांग के चतुर्थ अध्ययन का यह भाव प्रतिपादन किया है तो भगवन् ! पंचम अध्ययन का क्या अर्थ कहा है ? आयुष्मन् जम्बू ! उस काल और उस समय राजगृह नगर था। गुणशिलक चैत्य था श्रेणिक राजा था। स्वामी पधारे । परिषद् दर्शन करने नीकली। उस काल और उस समय सौधर्मकल्प में पूर्णभद्र विमान की सुधर्मासभा में पूर्णभद्र सिंहासन पर आसीन होकर पूर्णभद्र देव सूर्याभदेव के समान विचर रहा था । उसने अवधिज्ञान से भगवान को देखा । भगवान की सेवा में उपस्थित हुआ, वन्दन नमस्कार करके यावत् बत्तीस प्रकार की नृत्यविधियों को प्रदर्शित कर वापिस लौट गया । तब गौतमस्वामी ने भगवान से उस देव की दिव्य देव ऋद्धि आदि के विषय में पूछा । गौतम ! उस काल और उस समय इसी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में धन वैभव इत्यादि से समृद्धि - मणिपदिका नगरी थी। राजा चन्द्र था और ताराकीर्ण नाम का उद्यान था । उस नगरी में पूर्णभद्र नाम का एक सद्गृहस्थ रहता था, जो धन-धान्य इत्यादि से संपन्न था । उस काल और उस समय जाति एवं कुल से संपन्न यावत्, बहुश्रुत स्थविर भगवंत बहुत बड़े अन्तेवासी परिवार के साथ समवसृत हुए। जनसमूह धर्मदेशना श्रवण करने नीकला । पूर्णभद्र गाथापति उन स्थविरों के आगमन का वृत्तान्त जानकर यावत् भगवती-सूत्रोक्त गंगदत्त के समान गया यावत् उनके पास प्रव्रजित हुआ यावत् ईर्यासमिति आदि से युक्त गुप्तब्रह्मचारी अनगार हो गया । तत्पश्चात् पूर्णभद्र अनगार ने उन स्थविर भगवंतों से सामायिक से प्रारंभ कर ग्यारह अंगों का अध्ययन किया और बहुत से चतुर्थ, षष्ठ, अष्टमभक्त आदि तपः कर्म से आत्मा को परिशोधित करके बहुत वर्षों तक श्रामण्यपर्याय का पालन किया। मासिक संलेखनापूर्वक साठ भोजनों का अनशन द्वारा छेदन कर आलोचनापूर्वक समाधि प्राप्त कर काल करके सौधर्मकल्प के पूर्णभद्र विमान में देव रूप से उत्पन्न हुआ। यावत् भाषा मन पर्याप्ति से पर्याप्त भाव को प्राप्त किया। भदन्त पूर्णभद्र देव की कितने काल की स्थिति बताई है ? गौतम ! दो सागरोपम की ।' 'भगवन्! वह पूर्णभद्र देव उस देवलोक से च्यवन करके कहाँ जाएगा ? गौतम! महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर सिद्ध होगा यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा ।' अध्ययन-५ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (पुष्पिका)" आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद" Page 19
SR No.034688
Book TitleAgam 21 Pushpika Sutra Hindi Anuwad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDipratnasagar, Deepratnasagar
Publication Year2019
Total Pages21
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 21, & agam_pushpika
File Size2 MB
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